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Jharkhand Language Dispute : झारखंड में भाषा के नाम पर किसने लगाई आग, बैकफुट पर क्यों आई हेमंत सरकार? क्रोनोलॉजी...

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Jharkhand Language Dispute : झारखंड में भाषा के नाम पर किसने लगाई आग, बैकफुट पर क्यों आई हेमंत सरकार? क्रोनोलॉजी समझिए
Feb 19th 2022, 11:46

रवि सिन्हा, रांची : झारखंड में आजकल भोजपुरी और मगही भाषा () को लेकर सियासी पारी चरम पर है। हालांकि प्रदर्शनकारियों के सामने हेमंत सरकार () झुक गई और विवाद () से किसी तरह निकलने की कोशिश () की है। दरअसल, 24 दिसंबर 2021 को जिला स्तरीय पदों पर मैट्रिक के लिए जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की सूची (List of Regional Languages) जारी की। भाषा की लिस्ट जारी होने के साथ ही बोकारो और धनबाद में विरोध शुरू हो गया। भोजपुरी और मगही () को हटाने की मांग को लेकर विभिन्न संगठनों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसका उग्र रूप पिछले महीने तब देखने को मिला, जब बोकारो-धनबाद में प्रदर्शन () कर रहे लोगों ने बीजेपी के पूर्व सांसद रवींद्र कुमार राय () की गाड़ी पर हमला कर दिया। भाषा विवाद पर हेमंत सरकार का यू-टर्न भाषा विवाद पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सरकार ने पलटी मार दी है। भोजपुरी-मगही को कई जिलों में क्षेत्रीय भाषाओं की लिस्ट से निकाल दिया गया। बोकारो-धनबाद जिलों के अधिकांश जनप्रतिनिधियों ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया था। शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो और जेएमएम विधायक मथुरा प्रसाद महतो समेत कई नेताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की। इस दौरान इन्होंने बोकारो-धनबाद जिले में क्षेत्रीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही को हटाने की मांग की। इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर और विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर समस्या के समाधान की डिमांड रखी। जिसके बाद शुक्रवार देर रात बोकारो-धनबाद में क्षेत्रीय भाषा की सूची से भोजपुरी और मगही को हटाने का निर्णय सरकार ने लिया। साथ ही नया नोटिफिकेशन जारी किया गया। भाषा विवाद को लेकर कैसे शुरू हुआ आंदोलन? कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग की ओर से 24 दिसंबर को भाषा को लेकर एक लिस्ट जारी की गई। झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की ओर से मैट्रिक और इंटर स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए जनजातीय के साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं को भी जगह दी गई। क्षेत्रीय भाषा की सूची में बोकारो-धनबाद समेत अन्य जिलों में भोजपुरी और मगही को भी शामिल किया गया। लेकिन इस घोषणा के दूसरे ही दिन से कई आदिवासी संगठनों ने ये दावा किया कि इन दोनों जिलों में भोजपुरी-मगही बोलने वाले लोगों की संख्या काफी कम है, इसलिए क्षेत्रीय भाषा की सूची से इन्हें हटाया जाए। बाकारो में बीजेपी के पूर्व सांसद पर हमला धनबाद और बोकारो जिले में भोजपुरी-मगही को हटाने की मांग कर रहे लोग 25 दिसंबर से ही अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित कर सत्तापक्ष के विधायकों का पुतला दहन करते रहे। वहीं, इसके लिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को भी जिम्मेवार ठहराते हुए बीजेपी के कई विधायकों-सांसदों का भी घेराव किया गया। तभी, धनबाद-बोकारो जिले में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पूर्व बीजेपी सांसद रवींद्र राय की गाड़ी पर हमला बोल दिया। कई जिलों तक पहुंची भाषा विवाद की आग धनबाद-बोकारो जिले से उठा भाषा विवाद की आग कुछ ही दिनों में राज्य के दूसरे जिलों में पहुंच गया। गिरिडीह, रामगढ़, हजारीबाग और रांची समेत कई जिलों में प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया। वहीं, कुछ स्थानों पर भोजपुरी-मगही भाषा के समर्थन में भी कुछ नेता आगे आए, लेकिन ज्यादातर आंदोलन भोजपुरी-मगही भाषा को हटाने की मांग को लेकर ही रहा। शिक्षामंत्री और जेएमएम नेताओं के समर्थन से मनोबल बढ़ा बोकारो-धनबाद जिले से भोजपुरी-मगही भाषा को क्षेत्रीय सूची से हटाने की मांग के समर्थन में शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो और जेएमएम विधायक मथुरा प्रसाद महतो के आगे आने से प्रदर्शनकारियों का मनोबल बढ़ गया। वहीं, कांग्रेस के भी कई विधायकों का उन्हें दबी जुबान में समर्थन हासिल था। यहां तक कि शक्षामंत्री जगरनाथ महतो ने इस मुद्दे को कैबिनेट की बैठक में भी उठाने का काम किया था।

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