कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को चार और उम्मीदवार घोषित किए जिनमें दो महिलाएं शामिल हैं. इन उम्मीदवारों में सबसे प्रमुख नाम नेहा तिवारी का है, जो बहुचर्चित बिकरू कांड के बाद गिरफ्तार की गईं खुशी दुबे की बहन हैं.
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नेहा को कानपुर के कल्याणपुर से टिकट दिया गया है. इससे पहले खुशी दुबे की मां गायत्री तिवारी को इस सीट से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उनका नाम मतदाता सूची से कट जाने के कारण नेहा तिवारी को टिकट दिया गया.
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि गायत्री तिवारी ने हाल में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा से मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्हें टिकट दिया गया था, ताकि 'खुशी दुबे को इंसाफ मिल सके.''
सूत्रों ने यह भी कहा, 'पार्टी चाहती थी कि गायत्री तिवारी ही चुनाव लड़ें, लेकिन मतदाता सूची से आखिर समय में उनका नाम काट दिया गया. इस कारण टिकट उनकी पुत्री को देना पड़ा.'
खुशी दुबे के परिजन को टिकट दिए जाने के कारण के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस सूत्रों ने कहा, 'बिकरू कांड से दो दिन पहले ही खुशी दुबे शादी करके ससुराल आई थीं, लेकिन उन्हें भी जेल में डाल दिया गया. अगर घटना के दो दिन पहले ही उसकी शादी हुई थी तो फिर वह पति द्वारा किए गए अपराध में कैसे शामिल हो सकती हैं? खुशी दुबे के साथ इंसाफ होना चाहिए.'
यह कांग्रेस की उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की छठी सूची है. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 325 उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, जिनमें कुल 131 महिलाओं को टिकट दिया गया है.
कांग्रेस की छठी सूची के मुताबिक, पीलीभीत से शकील अहमद नूरी, शाहाबाद से अजीमुशान और टिंडवारी से आदिशक्ति दीक्षित को उम्मीदवार बनाया गया है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सात चरणों में होगा. पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को और सातवें एवं अंतिम चरण का मतदान सात मार्च को होगा. परिणाम 10 मार्च को घोषित होंगे.
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव
पिथौरागढ़: लिंक रोड की अपनी पुरानी मांग पूरी नहीं होने से प्रशासन से नाराज उत्तराखंड के चंपावत विधानसभा क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों के गांव आम खर्क के लगभग 25 परिवारों ने 14 फरवरी को मतदान के दौरान सामूहिक रूप से नोटा दबाने का फैसला लिया है.
गांव के निवासियों ने बताया कि वे 2007 से 1500 मीटर लिंक रोड के निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन परियोजना को जिला योजना में शामिल किए जाने के बावजूद अब तक इस दिशा में कुछ नहीं किया गया है.
लिंक रोड के निर्माण से गांव टनकपुर-चंपावत राजमार्ग से जुड़ जाएगा और इससे ग्रामीणों की कई समस्याओं का समाधान हो जाएगा.
गांव की एक महिला गंगा देवी ने कहा, 'जब भी चुनाव आते हैं, हमें विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से आश्वासन मिलता है कि निर्वाचित होने के बाद वे सड़क का निर्माण करवा देंगे. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद वे सभी बातें भूल जाते हैं. हमारे पास नोटा का सहारा लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.'
गांव की एक अन्य महिला तारा देवी ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों का गांव होने के बावजूद आम खर्क शिक्षा, चिकित्सा और बैंकिंग सुविधाओं से वंचित है.
चंपावत जिले के स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के अध्यक्ष महेश चौराकोटी ने कहा, 'सड़क के अभाव में ग्रामीणों को मामूली चिकित्सा लेने के लिए भी टनकपुर पहुंचने हेतु 25 किमी और श्यामलताल पहुंचने के लिए लगभग पांच किमी की दूरी तय करनी पड़ती है.'
उन्होंने बताया कि राम चंद्र चौराकोटी, बेनीराम चौराकोटी, बच्ची राम चौराकोटी और पदमदत्त चौराकोटी सहित चार गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानियों का जन्म इस गांव में हुआ था और उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में अपना योगदान दिया था.
चौराकोटी ने कहा कि सड़क और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण 65 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण गांव से पलायन कर गए हैं. उन्होंने बताया कि राज्य के गठन से पहले कुल 71 परिवारों में से अब केवल 25 परिवार ही गांव में बचे हैं.
लिंक रोड नहीं होने से ग्रामीणों की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं को भी दूर करने में बहुत समय लग जाता है.
उन्होंने कहा, 'गांव में बिजली आपूर्ति में मामूली खराबी आने पर भी हमें इसे ठीक करने के लिए तकनीशियन का महीनों इंतजार करना पड़ता है.'
पंजाब विधानसभा चुनाव
इस बीच अंगद सैनी को कथित तौर पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए निर्वाचन अधिकारी ने नोटिस जारी किया है. नवांशहर के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट और निर्वाचन अधिकारी बलजिंदर सिंह ढिल्लों ने सैनी को नोटिस जारी किया है.
सोमवार को निर्दलीय नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान बड़ी संख्या में समर्थकों के एकत्र होने का संज्ञान लेते हुए निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से आदर्श आचार संहिता तथा भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है.
ढिल्लों ने मंगलवार को यह भी कहा कि सैनी के साथ अनुमति से अधिक संख्या में वाहन शामिल हुए थे. निर्वाचन अधिकारी ने सैनी के काफिले का पूरा विवरण तलब किया है.
ढिल्लों ने कहा कि इन वाहनों पर किया गया खर्च सैनी के चुनावी खर्च में जोड़ा जाएगा. अधिकारी ने प्रत्याशी से समय सीमा के भीतर जवाब देने या कार्रवाई का सामना करने को कहा है.
लुधियाना की गिल विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दो पूर्व नौकरशाहों के बीच होना है. यहां से भाजपा ने सुच्चा राम लाधर को उम्मीदवार बनाया है, वहीं कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक कुलदीप सिंह वैद्य पर दांव लगाया है.
पंजाब कैडर के 1991 बैच के 63 वर्षीय अधिकारी लाधर ने कहा कि उन्होंने लोगों की सेवा करते रहने का प्रण लिया है.
इस सीट पर लाधर का मुकाबला कांग्रेस के मौजूदा विधायक वैद्य से होना है. दिलचस्प बात यह है कि वैद्य के भाई सरबजीत शनिवार को ही भाजपा में शामिल हुए हैं.
एम.टेक तक शिक्षा हासिल करने के बाद लाधर ने 1982 में पंजाब के सिंचाई विभाग में काम करना शुरू किया. वहां कुछ साल काम करने के बाद 1991 में वह आईएएस अधिकारी बने और उनकी पहली नियुक्ति उप संभागीय मजिस्ट्रेट के तौर पर लुधियाना में हुई थी.
मणिपुर विधानसभा चुनाव
मणिपुर में 2017 में विधानसभा की चार सीटें जीतने वाले क्षेत्रीय दल नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने बीते सोमवार को कहा कि वह इस बार 10 सीटों पर चुनाव लड़ेगा. शिवसेना ने भी राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए छह उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है.
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एनपीएफ ने एक बयान में कहा कि उसके प्रत्याशी उन 10 निर्वाचन क्षेत्रों से लड़ेंगे, जो अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के लिए आरक्षित है. मणिपुर में 20 एसटी निर्वाचन क्षेत्र हैं और सभी पहाड़ियों पर स्थित हैं. अधिकांश नगा जनसंख्या भी पर्वतीय क्षेत्रों में रहती है.
कई सालों तक पड़ोसी राज्य नगालैंड में शासन करने वाले एनपीएफ ने पिछले चुनाव में जीतने वाले चार विधायकों को फिर से प्रत्याशी बनाया है. इनमें डी. कोरुंगथांग शामिल हैं, जिन्होंने कांग्रेस के टिकट पर 2017 का विधानसभा चुनाव जीता था, लेकिन इस साल जनवरी में एनपीएफ में शामिल हो गए थे.
पूर्व मंत्री फ्रांसिस नगाजोकपा तदुबि और पूर्व विधायक के. पम्मेई तामेंगलोंग से चुनाव लड़ेंगे. सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राम मुइवा भी एनपीएफ से चुनाव लड़ेंगे. शिवसेना के प्रदेश अध्यक्ष एम. टोम्बी सिंह ने कहा कि बाकी उम्मीदवारों की घोषणा जल्दी ही की जाएगी.
भाजपा विधायक पी. शरतचंद्र मणिपुर विधानसभा चुनाव में टिकट हासिल करने में विफल रहने के एक दिन बाद बीते सोमवार को कांग्रेस में शामिल हो गए. उनके साथ ही भाजपा के वरिष्ठ नेताओं- एन. बीरेन और एन. जॉयकुमार ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया.
मोइरंग सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले शरतचंद्र ने भाजपा पर पुराने लोगों के बजाय नए लोगों को तवज्जो देने का आरोप लगाया. वह स्पष्ट रूप से एम. पृथ्वीराज की ओर इशारा कर रहे थे, जो पिछले साल कांग्रेस से भाजपा में आए थे और उन्हें मोइरंग से भाजपा ने टिकट दिया है.
पृथ्वीराज पिछले चुनाव में शरतचंद्र से 400 से भी कम मतों से हार गए थे.
इसके अलावा पूर्व मंत्री बीरेन और जॉयकुमार ने भी टिकट न मिलने के बाद भाजपा का दामन छोड़ दिया.
कांग्रेस के चुनाव प्रभारी भक्त चरण दास ने इन तीनों का स्वागत किया और कहा कि पार्टी आगामी चुनाव में 60 में से 40 सीट पर जीत हासिल करेगी.
दो अन्य भाजपा नेता- थंगजाम अरुण कुमार और टी. वृंदा जदयू में शामिल हो गए.
बीते 30 दिसंबर को मणिपुर में भाजपा के आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और प्रदेश इकाई की अध्यक्ष शारदा देवी के पुतले और पार्टी के झंडे जलाए थे.
कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची में पार्टी के वफादारों को नजरअंदाज कर कांग्रेस से आने वाले नेताओं को टिकट दिए जाने के खिलाफ नारेबाजी की और पार्टी कार्यालयों में तोड़फोड़ की थी.
इतना ही नहीं टिकट के कई दावेदारों समेत भाजपा के कई नेताओं ने भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
सगोलबंद, काकचिंग, मोइरंग, कीसमथोंग विधानसभा क्षेत्रों में आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने पार्टी के झंडे, पर्चे जलाए, स्थानीय कार्यालयों में तोड़फोड़ और नारेबाजी की थी. थंगा में कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पुतले जलाए थे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
विधानसभा चुनाव राउंड-अप: ईडी अधिकारी रहते हुए राजेश्वर सिंह ने कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम सहित विपक्ष में शामिल कई नेताओं से संबंधित कुछ हाई-प्रोफाइल जांच का नेतृत्व किया है. रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि हम किसानों के मुद्दों पर लड़ रहे हैं और भाजपा जाति के मुद्दों पर. पंजाब में कांग्रेस विधायक और अंगद सैनी ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय नामांकन दाख़िल किया. अंगद की पत्नी विधायक अदिति सिंह हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हो गई थीं.
राजेश्वर सिंह. (फोटो साभार: ट्विटर)
नई दिल्ली/लखनऊ/देहरादून/चंडीगढ़/इम्फाल: केंद्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी राजेश्वर सिंह को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) दे दी है. वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं और उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं.
अभी तक लखनऊ में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में संयुक्त निदेशक पद पर सेवा दे रहे सिंह ने ट्वीट कर घोषणा की कि वह 'सेवानिवृत्त हो रहे हैं.'
सिंह के पास धनबाद में इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स से इंजीनियरिंग की डिग्री है और कानून तथा मानवाधिकार में अतिरिक्त डिग्री है. उनकी अभी लगभग 12 वर्षों की सर्विस बची हुई थी.
राजेश्वर सिंह ने कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और वाईएसआर कांग्रेस के जगनमोहन रेड्डी सहित विपक्ष में शामिल कई नेताओं से संबंधित कुछ हाई-प्रोफाइल जांच का नेतृत्व किया है.
उन्होंने सोमवार रात को ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक पत्र में कहा, 'आज भारत सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के मेरे अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया है. 24 वर्षों के अथक और कर्तव्यनिष्ठ कठिन परिश्रम का कारवां आज बदलाव के बिंदु पर पहुंच गया है.'
अधिकारी ने उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ अपने सिविल सेवा करिअर की शुरुआत की थी. उन्होंने करीब 10 वर्षों तक उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ काम किया और बाकी के वर्षों में ईडी के साथ काम किया.
उन्होंने कहा, 'चूंकि आज 24 साल का मेरा पेशेवर सफर बदल रहा है तो इस मौके पर मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी और वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी, मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी, ईडी निदेशक श्री एसके मिश्रा और उत्तर प्रदेश पुलिस का गहन आभार व्यक्त करता हूं.'
उन्होंने कहा, 'मैंने इतने वर्षों तक इन संगठनों के साथ काम करते हुए काफी कुछ सीखा है. मैं एक भागीदार के तौर पर, भारत को विश्व गुरु बनाने के प्रधानमंत्री के अभियान में शामिल हो गया हूं और मैं राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में दृढ़ विश्वास और अखंडता के साथ योगदान देना चाहता हूं.'
सिंह ने पिछले साल के अंत में वीआरएस के लिए आवेदन दिया था. सूत्रों ने बताया कि वह भाजपा के टिकट पर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ सकते है.
सिंह ने कहा, 'मैं इससे बहुत संतुष्ट हूं कि बेईमान भ्रष्ट नेताओं की विभिन्न धमकियों और दबाव बनाने के हथकंडे के बावजूद बिना झुके काम करने के मेरे साहस की माननीय उच्चतम न्यायालय ने समय-समय पर सराहना की.'
अधिकारी अपने करिअर में कई विवादों में भी रहे, जिनमें जून 2018 में हुआ एक विवाद भी शामिल है, जब वित्त मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय में एक गोपनीय रिपोर्ट सौंपी, जिसमें अधिकारी को दुबई से आए एक फोन कॉल की जानकारी थी.
बीते साल अगस्त में इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कॉमनवेल्थ गेम्स, 2जी स्पेक्ट्रम, एयरसेल-मैक्सिस डील, कोयला घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर डील जैसे बेहद हाई-प्रोफाइल मामलों को संभालने वाले ईडी के वरिष्ठ अधिकारी राजेश्वर सिंह के भाजपा में शामिल हो सकते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया था कि ये एक बेहद चौंकाने वाला कदम होगा, क्योंकि साल 2018 में भाजपा सरकार ने ही राजेश्वर सिंह के खिलाफ जांच शुरू की थी और उन्हें एक लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया था.
साल 2009 में डेपुटेशन पर ईडी में भेजे गए यूपी कैडर के प्रांतीय पुलिस सेवा (पीपीएस) अधिकारी राजेश्वर सिंह का कार्यकाल काफी उठापटक वाला रहा है, जहां राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों को संभालने के साथ-साथ कई विवादों से भी उनका नाता रहा है.
सिंह को उत्तर प्रदेश पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माना जाता था. उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम तथा उनके बेटे कार्ति चिदंबरम से जुड़े एयरसेल-मैक्सिस सौदे जैसे कई बड़े मामलों की जांच की है.
2जी स्पेक्ट्रम मामले में ईडी और सीबीआई ने मिलकर जांच की थी, लेकिन साल 2017 में ट्रायल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.
साल 2010 से 2018 के बीच राजेश्वर सिंह कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला और यूपीए सरकार को झकझोरने वाले कोयला घोटाले को भी संभाला था.
इसके साथ ही वह उन भ्रष्टाचार के मामलों की जांच का भी हिस्सा थे, जिसके कारण मुख्यमंत्रियों ओपी चौटाला, मधु कोड़ा और जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ कार्रवाई हुई थी.
हाई-प्रोफाइल मामले संभालने के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर दावा किया गया था कि सिंह ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की है. इसके जवाब में सिंह ने रजनीश कपूर नामक याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक अवमानना याचिका दायर किया और कहा कि उन्होंने जांच में बाधा पहुंचाने के लिए पीआईएल दायर की थी.
वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने साल 2014 में राजेश्वर सिंह के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी और उन्हें सुरक्षित करते हुए ईडी में स्थायी उप निदेशक बनाने का निर्देश दिया था, लेकिन 27 जून 2018 में न्यायालय ने ईडी अधिकारी के खिलाफ जांच के लिए सरकार को हरी झंडी दे दी थी, जिसके बाद राजस्व विभाग ने आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच शुरू की थी.
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने अनिल गलगली नामक एक कार्यकर्ता द्वारा 10 अप्रैल 2018 को भेजे गए एक शिकायत के आधार पर जांच का निर्देश दिया था, जिसमें राजेश्वर सिंह और गुजरात के सूरत में आयकर विभाग में कार्यरत उनके भाई रामेश्वर सिंह द्वारा आय से अधिक संपत्ति, भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगाए गए थे.
ये वही समय है जब सिंह ने तत्कालीन राजस्व सचिव हसमुख अधिया को पत्र लिख कर नाराजगी जाहिर करते हुए उन पर 'शत्रुता' का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा कि उनके बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद अधिया उनके प्रमोशन में अड़चन डाल रहे हैं.
वैसे उन्होंने बाद में अपने इस पत्र के लिए माफी मांगी थी, लेकिन सिंह के खिलाफ जांच चलती रही और अंतत: कुछ खास नहीं निकल पाया था. एक लंबी छुट्टी के बाद सिंह को ईडी के लखनऊ ऑफिस में भेज दिया गया था.
राजेश्वर सिंह को तत्कालीन सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा का करीबी माना जाता था. अक्टूबर 2018 में सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद के समय भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सिंह पर आरोप लगाया था कि उन्होंने तत्कालीन विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ माहौल बनाने का काम किया है.
मालूम हो कि हाल ही सामने आए उस लीक डेटाबेस में राजेश्वर सिंह का भी नंबर शामिल है, जिनकी पेगासस स्पायवेयर से निगरानी किए जाने की संभावना है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों के कंसोर्टियम, जिसमें द वायर भी शामिल है, ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत इसका खुलासा था.
माना जा रहा है कि ईडी में महत्वपूर्ण मामले संभालने के चलते राजेश्वर सिंह की निगरानी किए जाने की संभावना है.
भाजपा जाति के मुद्दों पर बात करती है और हम किसान के मुद्दों पर: जयंत चौधरी
अलीगढ़: राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी ने बीते सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के चुनाव प्रचार के दौरान लगातार 'जाति आधारित शब्दावली' के उपयोग को लेकर उनकी आलोचना की.
जयंत चौधरी. (फोटो साभार: फेसबुक)
खैर के पास मालव गांव में एक सभा को संबोधित करने पहुंचे चौधरी ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री 'लगातार जाटों के बारे में बात कर जातिगत मुद्दे उठा रहे थे. यह उचित नहीं है, क्योंकि इससे किसानों के मुख्य मुद्दे दरकिनार हो जाते हैं.'
उन्होंने कहा, 'हम किसानों के लिए लड़ रहे हैं और हम अपने अभियान में कहीं भी जातिगत मुद्दे नहीं लाते.'
इससे पहले मालव में सभा को संबोधित करते हुए खैर के लोगों के साथ भावनात्मक जुड़ाव दिखाते हुए, उन्होंने कहा, 'मेरे दादा (पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह) से मुझे गांव से जुड़े मुद्दों के आधार पर किसानों के हितों को आगे बढ़ाने की विरासत मिली है. मैं आप लोगो को कभी निराश नहीं होने दूंगा.'
उन्होंने कहा कि अलीगढ़ की खैर तहसील में उनके परिवार की जड़ें बहुत मजबूत हैं और इस क्षेत्र को अक्सर 'मिनी छपरौली' कहा जाता है और यह उनके दादा के समय से उनका दूसरा घर है.
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लोगों का उनके परिवार के साथ बहुत खास रिश्ता है और यह आज उनके दौरे के दौरान दिखाई दिया.
बाद में अलीगढ़ छोड़ने से पहले मीडियाकर्मियों से बात करते हुए रालोद प्रमुख ने कहा, 'भाजपा के कुछ नेता हमें इतिहास सिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा और जाट पिछले 600 वर्षों से एक साथ हैं.'
उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह के बयान भाजपा के इतिहास के त्रुटिपूर्ण पठन को दर्शाते हैं.
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जाट प्रतिनिधियों के एक समूह के साथ अपनी बैठक में कहा था कि जाट और भाजपा मुगलों के खिलाफ लड़ने की विरासत साझा करते हैं.
गौतम बुद्ध नगर में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 10 प्रत्याशियों को नोटिस
नोएडा: गौतम बुद्ध नगर जिले की विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 10 उम्मीदवारों को नोटिस जारी करके उन्हें अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की जानकारी विभिन्न समाचार-पत्रों एवं टीवी चैनल पर प्रकाशित एवं प्रसारित करने का निर्देश दिया गया है.
अपर जिला निर्वाचन अधिकारी वंदिता श्रीवास्तव ने इन 10 उम्मीदवारों को नोटिस जारी करके कहा कि वे अपने ऊपर दर्ज मुकदमों को विभिन्न समाचार पत्रों एवं टीवी चैनल पर तीन बार प्रकाशित एवं प्रसारित करें.
अपर जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि गौतम बुद्ध नगर की नोएडा, दादरी और जेवर विधानसभा सीट से 39 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.
उन्होंने बताया कि निर्वाचन आयोग के नियम के मुताबिक, यदि किसी प्रत्याशी का आपराधिक इतिहास होता है, तो उसे नामांकन पत्र में इसका जिक्र करना होता है और मतदान से पूर्व अखबारों और टीवी चैनल पर इस संबंधी जानकारी तीन बार प्रकाशित एवं प्रसारित करनी होती है.
उन्होंने बताया कि 39 प्रत्याशियों में से 10 के खिलाफ विभिन्न मामलों में मुकदमे दर्ज हैं. उन्होंने बताया कि अभी तक किसी प्रत्याशी ने भी अपने आपराधिक इतिहास की जानकारी समाचार पत्रों या टीवी चैनल में प्रसारित या प्रकाशित नहीं कराई है.
उन्होंने बताया कि सभी प्रत्याशियों को नोटिस जारी किया गया है, ताकि कि वे समाचार-पत्रों तथा टीवी चैनल के माध्यम से अपने अपराधिक इतिहास की जानकारी जल्द से जल्द जनता को दें. उन्होंने बताया कि आयोग के निर्देशों का पालन नहीं करने पर प्रत्याशियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
सपा-रालोद के प्रत्याशी भड़ाना के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज
नोएडा: उत्तर प्रदेश के जेवर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे सपा-रालोद के संयुक्त प्रत्याशी अवतार सिंह भड़ाना और उनके समर्थकों के खिलाफ थाना दनकौर में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने का मामला दर्ज हुआ है. इससे पहले आचार संहिता का उल्लंघन करने का उन पर दो मुकदमे दर्ज हो चुके हैं.
अवतार सिंह भड़ाना. (फोटो साभार: फेसबुक)
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि थाना दनकौर में जेवर विधानसभा के चुनाव अधिकारी की ओर से आचार संहिता और कोरोना महामारी अधिनियम के उल्लंघन के आरोप में रालोद प्रत्याशी और उनके समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है.
आरोप है कि 26 जनवरी को विधानसभा क्षेत्र के अस्तौली गांव में अवतार भड़ाना के समर्थकों ने डीजे के साथ चुनाव प्रचार किया और जुलूस निकाला था. इस दौरान अवतार भड़ाना पर नोटों की वर्षा भी की गई थी.
सोशल मीडिया पर इस संबंध में वीडियो वायरल हुआ था.
इससे पहले जेवर कोतवाली में अवतार भड़ाना के खिलाफ चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज हो चुका है.